राजस्थान में संभागीय आयुक्त व्यवस्था को कब पुनर्जीवित किया गया?
566 06311ef6df0d47409ab356efe1. 1962 में राजस्थान संभागीय आयुक्त के कार्यालय का उन्मूलन किया गया और 1987 में पुनर्जीवित किया गया।
2. आयुक्तों की भूमिकाएँ और शक्तियाँ एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न होती हैं लेकिन एक सामान्य पहल है।
राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायधीश के कितने पद स्वीकृत हैं?
485 06311eee57c72c077846e37e91. राजस्थान राज्य का उद्घाटन 30 मार्च, 1949 को हुआ और तत्समय जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर और अलवर में कार्यरत पाँच रियासतकालीन उच्च न्यायालयों को राजस्थान उच्च न्यायालय अध्यादेश, 1949 द्वारा समाप्त कर दिया गया और राजस्थान में उच्च न्यायालय, जोधपुर का उद्घाटन किया गया।
2. राजस्थान उच्च न्यायालय में 50 माननीय न्यायाधीशों की पद-संख्या अनुमोदित है।
राजस्थान में राजस्व मण्डल की स्थापना कब हुई?
613 06311ee7dd9ac741324bda6f41. संयुक्त राजस्थान राज्य के निर्माण के पश्चात महामहिम राजप्रमुख ने 7 अप्रैल 1949 को अध्यादेश की उद्घोषणा द्वारा राजस्थान के राजस्व मंडल (Board of Revenue for Rajasthan) की स्थापना की थी।
2. यह अध्यादेश 1 नवम्बर 1949 को प्रवर्तित हुआ था उसने बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, मत्स्य तथा पूर्व राजस्थान के राजस्व मंडलों का स्थान ले लिया हैं।
3. ये राजस्व मंडल विविध विधियों के अधीन रियासतों में कार्य कर रहे थे।
बलवन्त राय मेहता समिति थी:
569 0633710f25c208a6bf71c9d7a1. पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार की एक शाखा है जो राज्यों में विकेंद्रीकरण और स्थानीय शासन की चल रही प्रक्रिया की देखभाल करती है।
2. पंचायती राज व्यवस्था ग्रामीण भारत की स्थानीय स्वशासन की प्रणाली है। जिस तरह से नगरपालिकाओं तथा उपनगरपालिकाओं के द्वारा शहरी क्षेत्रों का स्वशासन चलता है, उसी प्रकार पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का स्वशासन चलता है।
3. पंचायती राज संस्थाएँ तीन स्तरहैं।
(1) ग्राम के स्तर : ग्राम पंचायत
(2) ब्लॉक स्तर : पंचायत समिति
(3) जिला स्तर : जिला परिषद
निम्नलिखित में से कौन राजस्थान में लोकायुक्त की जांच के दायरे में नहीं हैं?
(i) मंत्री
(ii) विभाग सचिव
(iii) राज्य विधानसभा सचिवालय के कर्मी
(iv) महालेखाकार, राजस्थान
सही कोड चुनें –
638 062f376ba09a97851b631ee2b1. लोकायुक्त संस्था का सृजन जन साधारण को स्वच्छ प्रशासन प्रदान करने के उद्देश्य से लोक सेवकों के विरूद्ध भ्रष्टाचार एवं पद के दुरूपयोग सम्बन्धी शिकायतों पर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से जॉंच एवं अन्वेषण करने हेतु राजस्थान लोकायुक्त तथा उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1973 के अन्तर्गत हुआ।
2. लोकायुक्त एक स्वतंत्र संस्थान है जिसका क्षेत्राधिकार सम्पूर्ण राजस्थान राज्य है। यह राज्य सरकार का कोई विभाग नहीं है और न ही इसके कार्य में सरकार का कोई हस्तक्षेप है।
3. राजस्थान में लोकायुक्त की जाँच के दायरे में मंत्री, सचिव और स्वायत्त शासन संस्थानों के अध्यक्ष आते हैं।
4. वर्त्तमान में लोकायुक्त (राजस्थान) माननीय न्यायमूर्ति श्री प्रताप कृष्ण लोहरा हैं।