Rajasthan Art and Culture प्रश्न और उत्तर का अभ्यास करें

प्र:

केसरी सिंह बारहठ ने चेतावनी रा चुंगटिया किसको सम्बोधित करके लिखा?

533 0

  • 1
    महाराणा प्रताप सिंह
    सही
    गलत
  • 2
    महाराणा फतेह सिंह
    सही
    गलत
  • 3
    महाराणा अजीत सिंह
    सही
    गलत
  • 4
    मिर्जा राजा जयसिंह
    सही
    गलत
  • उत्तर देखें
  • Workspace

उत्तर : 2. "महाराणा फतेह सिंह"
व्याख्या :

चेतवनी रा चुंगट्या (देवनागरी: चेतावनी रा चुंगटिया; अनुवाद: द पिंचेस ऑफ एडमोनिशन या अर्जेस टू अवेक) 1903 में ठाकुर केसरी सिंह बारहठ द्वारा रचित एक देशभक्तिपूर्ण डिंगल कविता है और मेवाड़ के महाराणा, फतेह सिंह को संबोधित करते हुए उन्हें परंपराओं को बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है। अपने वंश का और दिल्ली में शामिल न होने का...


प्र:

गोविंद देव मन्दिर, जयपुर एवं मदन मोहन मन्दिर, करौली का सम्बन्ध किस सम्प्रदाय से है?

514 0

  • 1
    नाथ
    सही
    गलत
  • 2
    वल्लभ
    सही
    गलत
  • 3
    रामस्नेही
    सही
    गलत
  • 4
    गौड़ीय
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 4. "गौड़ीय"
व्याख्या :

गोविंद देव मंदिर, जयपुर और मदन मोहन मंदिर, करौली गौड़ीय संप्रदाय से संबंधित हैं। गौड़ीय वैष्णव परंपरा का ऐतिहासिक गोविंद देव जी मंदिर राजस्थान में जयपुर के सिटी पैलेस में स्थित है। यह मंदिर गोविंद देव जी (कृष्ण) और उनकी पत्नी राधा को समर्पित है।

प्र:

 'बातां री फुलवारी' कितने खण्डों में विभक्त है?

543 0

  • 1
    8
    सही
    गलत
  • 2
    10
    सही
    गलत
  • 3
    14
    सही
    गलत
  • 4
    16
    सही
    गलत
  • उत्तर देखें
  • Workspace

उत्तर : 3. "14"
व्याख्या :

सही उत्तर 14 है। 'बातां री फुलवारी' में 14 खंड हैं। यह कहानियों का एक संग्रह है जो राजस्थान की बोली जाने वाली बोलियों में लोककथाओं पर आधारित है। इसे विजयदान देथा ने लिखा है, जिन्हें बिज्जी के नाम से भी जाना जाता है।


प्र:

श्रीधर अंधारे को किस चित्रशैली को प्रकाश में लाने का श्रेय दिया जाता है ?

709 0

  • 1
    किशनगढ़
    सही
    गलत
  • 2
    देवगढ़
    सही
    गलत
  • 3
    शाहपुरा
    सही
    गलत
  • 4
    उणियारा
    सही
    गलत
  • उत्तर देखें
  • Workspace

उत्तर : 2. "देवगढ़"
व्याख्या :

सही उत्तर देवगढ़ है। देवगढ़ शैली की शुरुआत 1660 ई. में द्वारिका दास चूंडावत के समय हुई। श्रीधर अंधारे ने इस पेंटिंग की पहचान की और इसे चावंड की पेंटिंग से अलग किया। इस शैली में शाही दरबार में लड़ते शिकार हाथियों के चित्र बनाए गए हैं।


प्र:

निम्नलिखित में से कौन सा वाद्य यंत्र बाकी तीन से अलग है?

674 0

  • 1
    बांसुरी
    सही
    गलत
  • 2
    मशक
    सही
    गलत
  • 3
    शहनाई
    सही
    गलत
  • 4
    अलगोजा
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 1. "बांसुरी"
व्याख्या :

अतः, सही उत्तर "बांसुरी" है। गिटार पश्चिमी मूल का है, इसमें 6 तार होते हैं, इसे बजाया या बजाया जाता है, और इसका उपयोग भारतीय संगीत में नहीं किया जाता है।

प्र:

नैणसी की ख्यात में गुहिलों की कितनी शाखाओं का उल्लेख किया है? 

554 0

  • 1
    बयालीस
    सही
    गलत
  • 2
    बीस
    सही
    गलत
  • 3
    चौबीस
    सही
    गलत
  • 4
    छत्तीस
    सही
    गलत
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  • Workspace

उत्तर : 3. "चौबीस "
व्याख्या :

1. नैणसी की ख्यात में गुहिलों की 24 शाखाओं का उल्लेख किया गया है।

2. नैणसी की ख्यात एक राजस्थानी ऐतिहासिक ग्रंथ है, जिसे 17वीं शताब्दी में मुहणौत नैणसी ने लिखा था। यह ग्रंथ मेवाड़ के इतिहास पर एक महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।

प्र:

'मांदल' किससे सम्बन्धित है? 

706 0

  • 1
    बरसात के बादल
    सही
    गलत
  • 2
    मादा शेरनी
    सही
    गलत
  • 3
    वाद्ययंत्र
    सही
    गलत
  • 4
    इनमें से कोई नहीं
    सही
    गलत
  • उत्तर देखें
  • Workspace

उत्तर : 3. "वाद्ययंत्र "
व्याख्या :

मांदल’ एक वाद्ययंत्र है| यह एक भारतीय सितार है, जिसे आजकल मुखर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के लिए इस्तेमाल किया जाता है।


प्र:

चित्तौड़ दुर्ग में स्थित 'कीर्ति स्तम्भ' किसको समर्पित है? 

593 0

  • 1
    राणा सांगा
    सही
    गलत
  • 2
    राणा कुम्भा
    सही
    गलत
  • 3
    जैन तीर्थंकर आदिनाथ
    सही
    गलत
  • 4
    महावीर स्वामी
    सही
    गलत
  • उत्तर देखें
  • Workspace

उत्तर : 3. "जैन तीर्थंकर आदिनाथ "
व्याख्या :

1. चित्तौड़गढ़ दुर्ग भारत के राजस्थान राज्य में चित्तौड़गढ़ शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह भारत के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण किलों में से एक है, और इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

2. इन सब आकर्षणों के अलावा सबसे खास हैं यहां के दो पाषाणीय स्तंभ, जिन्हें कीर्ति स्तंभ और विजय स्तंभ कहा जाता है. ये दो स्तंभ, किले के और राजपूत वंश के गौरवशाली अतीत को दर्शाते हैं. अपनी खूबसूरती, स्थापत्य और ऊंचाई से ये दोनो स्तंभ पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं।

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