मरुस्थलीय क्षेत्र में मिट्टी के अपरदन को रोकने के लिये क्या किया जाना चाहिये?
584 0632acf7c4ada076be65c1d10मृदा अपरदन एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है । इस समस्या पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. मृदा अपरदन की रोकथाम के कुछ तरीके निम्नलिखित हैं-
1. मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए बंजर भूमि पर पेड़ लगाएं।
2. मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए नीचे पौधों और घास को रोकने के लिए गीली घास और चट्टानें डालें।
3. ढलानों पर कटाव को कम करने के लिए मल्च मैटिंग का उपयोग किया जा सकता है।
4. किसी भी पानी या मिट्टी को बहने से रोकने के लिए फ़ाइबर लॉग की एक श्रृंखला रखें।
5. ढलान के आधार पर एक दीवार मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद कर सकती है।
6. प्रत्येक घर में उचित जल निकासी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पानी उचित जल संग्रहण प्रणालियों में बह सके।
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
491 0633c33aad0b67f66a01f7d4a1. हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है।
2. इसका उद्देश्य मानव जाति को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना होता है।
3. पहली बार 1973 में आयोजित, यह समुद्री प्रदूषण, अधिक जनसंख्या, ग्लोबल वार्मिंग, सतत विकास और वन्यजीव अपराध जैसे पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का एक मंच रहा है। विश्व पर्यावरण दिवस सार्वजनिक पहुंच के लिए एक वैश्विक मंच है, जिसमें सालाना 143 से अधिक देशों की भागीदारी होती है।
वर्षाजल संग्रहण करने वाला रानीसर टाँका कहाँ स्थित है?
2954 0631b366f9e22767a76543e1fटांका एक भूमिगत जलाशय है जिसे वर्षा के जल को संग्रहित करने के लिए बनाया जाता है। टांका आमतौर पर एक वर्गाकार या आयताकार आकार का होता है और इसका निर्माण मिट्टी या पत्थर से किया जाता है। टांका के चारों ओर एक दीवार बनाई जाती है ताकि वर्षा का जल इसमें इकट्ठा हो सके।
खड़ीन खेती हैं-
1055 05f718bfba58f705296afb5a2खडीन-यह एक मिट्टी का बना हुआ अस्थायी तालाब होता है, इसे किसी ढाल वाली भूमि के नीचे बनाते हैं । इसके दोनों ओर मिट्टी की दीवार (धोरा) तथा तीसरी ओर पत्थर से बनी मजबूत दीवार होती है । जल की अधिकता पर खड़ीन भर जाता है तथा जल आगे वाली खडीन में चला जाता है । खडीन में जल के सूख जाने पर, इसमें कृषि की जाती है।
राजस्थान के थार मरुस्थल की परम्परागत जल संग्रहण तकनीक है -
627 06329f46e751e5310a5bc73e91. खडीन-यह एक मिट्टी का बना हुआ अस्थायी तालाब होता है, इसे किसी ढाल वाली भूमि के नीचे बनाते हैं । इसके दोनों ओर मिट्टी की दीवार (धोरा) तथा तीसरी ओर पत्थर से बनी मजबूत दीवार होती है । जल की अधिकता पर खड़ीन भर जाता है तथा जल आगे वाली खडीन में चला जाता है । खडीन में जल के सूख जाने पर, इसमें कृषि की जाती है।
2. तालाब-राजस्थान में प्राय: वर्षा के जल का संग्रहण तालाब में किया जाता है। यहाँ स्त्रियों व पुरुषों के नहाने के पृथक् से घाट होते हैं। तालाब की तलहटी में कुआं बना होता है, जिसे बेरी कहते हैं। जल संचयन की यह प्राचीन विधि आज भी अपना महत्व रखती है। इससे भूमि जल का स्तर बढ़ता है।
4. बावड़ी-राजस्थान में बावड़ियों का अपना स्थान है । यह जल संग्रहण करने का प्राचीन तरीका है। यह गहरी होती है व इसमें उतरने के लिए सीढियाँ एवं तिबारे होते हैं तथा यह कलाकृतियों से सम्पन्न होती है ।
5. टांका: टांका एक भूमिगत जलाशय है जिसे वर्षा के जल को संग्रहित करने के लिए बनाया जाता है। टांका आमतौर पर एक वर्गाकार या आयताकार आकार का होता है और इसका निर्माण मिट्टी या पत्थर से किया जाता है। टांका के चारों ओर एक दीवार बनाई जाती है ताकि वर्षा का जल इसमें इकट्ठा हो सके।