राजस्थान में दो प्रमुख कपास उत्पादक जिले हैं
748 062a23836cae9f820baeb33811. कपास एक उष्ण एवं उपोषणकटिबंधीय झाड़ीनुमा पौधा है, जिसकी ऊंचाई 1.5 से लेकर 2 मीटर तक हो सकती है।
2. इस पौधे पर अनेक डोडिया (Pods) लगती हैं। इन डोडियों में बीज के चारों ओर रेशा लिपटा हुआ होता है। इसी रेशे से कपड़े तैयार किए जाते हैं। इसके बीज का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है।
3. इसके बीज से तेल भी निकाला जाता है। तेल निकालने के बाद शेष बचे भाग को पशुओं के चारे व खाद के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता है।
4. राजस्थान में दो प्रमुख कपास उत्पादक जिले गंगानगर एवं हनुमानगढ़ हैं।
लाल लोभी मृदा पाई जाती है
507 062a9eef6c970a85aaa79c5711. लाल दोमट मृदा को ढीली, पारगम्य और घनीभूतत्व घटकों की कमी के रूप में खोजा गया है।
2. इन मृदा में कार्बनिक पदार्थ, फॉस्फेट और नाइट्रोजन की कमी होती है।
3. कुछ मृदा में पोटाश पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है।
4. क्योंकि वे बहुत उपजाऊ नहीं हैं, लाल रेतीली दोमट मिट्टी खेती के लिए खराब है।
5. राज्य के दक्षिणी क्षेत्र में, डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिलों में, साथ ही उदयपुर और चित्तौड़गढ़ में कुछ स्थानों पर लाल दोमट मिट्टी पाई जा सकती है।
6. लाल मिट्टी के लिए उपयुक्त कुछ फसलें कपास, गेहूं, चावल, दालें, बाजरा, तंबाकू, तिलहन, आलू और फल हैं।
राजस्थान के पश्चिमी मरुस्थल में सबसे प्रमुख (अधिकांशतः) बालू के स्तूप हैं
613 062a9ef654dee44100be76c6cपैराबोलिक बालुका स्तूप (Parabolic Sand Dune)-
1. पैराबोलिक बालुका स्तूप को परवलयिक बालुका स्तूप भी कहा जाता है।
2. बरखान के विपरित या महिलाओं के बालों की हैयर पिन (क्लिप) जैसे बालूका स्तूप पैराबोलिक बालुका स्तूप कहलाते हैं।
3. राजस्थान में पैराबोलिक बालुका स्तूप सामान्यतः जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर एवं जोधपुर में अधिक पाये जाते हैं।
4. पैराबोलिक बालुका स्तूप राजस्थान में सर्वाधिक पाये जाते हैं क्योंकि पैराबोलिक बालुका स्तूप सभी मरुस्थलीय जिलों में मिलते हैं या पाये जाते हैं।