Rajasthan Art History and Culture प्रश्न और उत्तर का अभ्यास करें
8 प्र: श्री देवनारायण के पिता का नाम?
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5fdc39b347af917ef3d63852- 1जय सिंहfalse
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उत्तर : 4. "सवाई भोज"
व्याख्या :
1. भगवान विष्णु का अवतार कहे जाने वाले गुर्जर जाति के आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण जी का जन्म विक्रम संवत 968 माघ शुक्ल की सप्तमी के दिन मालासेरी में हुआ था, इनके पिताजी का नाम सवाई भोज एवं माँ का नाम साढू था, इस कारण इन्हें साढू माता का लाल भी कहा जाता हैं।
2. बचपन में देवजी का नाम उदय सिंह था, इनका विवाह राजकुमारी पीपल दे एवं दो अन्य रानियों नाग कन्या और दैत्य कन्या के साथ हुआ था. इनके एक बेटा बीला जो बाद में प्रथम पुजारी भी बने तथा बेटी का नाम बीली था।
प्र: श्री देवनारायण का विवाह किसके साथ हुआ था?
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5fdc396ed4ac5609e071f926- 1सिस्टमfalse
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उत्तर : 3. "पीपलदे"
व्याख्या :
1. भगवान विष्णु का अवतार कहे जाने वाले गुर्जर जाति के आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण जी का जन्म विक्रम संवत 968 माघ शुक्ल की सप्तमी के दिन मालासेरी में हुआ था, इनके पिताजी का नाम सवाई भोज एवं माँ का नाम साढू था, इस कारण इन्हें साढू माता का लाल भी कहा जाता हैं।
2. बचपन में देवजी का नाम उदय सिंह था, इनका विवाह राजकुमारी पीपल दे एवं दो अन्य रानियों नाग कन्या और दैत्य कन्या के साथ हुआ था. इनके एक बेटा बीला जो बाद में प्रथम पुजारी भी बने तथा बेटी का नाम बीली था।
प्र: श्री देवनारायण किसके साथ विवाहित थे?
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उत्तर : 4. "प्रेम देवी"
व्याख्या :
1. भगवान विष्णु का अवतार कहे जाने वाले गुर्जर जाति के आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण जी का जन्म विक्रम संवत 968 माघ शुक्ल की सप्तमी के दिन मालासेरी में हुआ था, इनके पिताजी का नाम सवाई भोज एवं माँ का नाम साढू था, इस कारण इन्हें साढू माता का लाल भी कहा जाता हैं।
2. बचपन में देवजी का नाम उदय सिंह था, इनका विवाह राजकुमारी पीपल दे एवं दो अन्य रानियों नाग कन्या और दैत्य कन्या के साथ हुआ था. इनके एक बेटा बीला जो बाद में प्रथम पुजारी भी बने तथा बेटी का नाम बीली था।
प्र: गुर्जर जाति के लोग श्री देवनारायण का अवतार मानते हैं?
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5fdc38e7d4ac5609e071f8b1- 1श्रीरामfalse
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उत्तर : 3. "विष्णु"
व्याख्या :
1. भगवान विष्णु का अवतार कहे जाने वाले गुर्जर जाति के आराध्य देव भगवान श्री देवनारायण जी का जन्म विक्रम संवत 968 माघ शुक्ल की सप्तमी के दिन मालासेरी में हुआ था, इनके पिताजी का नाम सवाई भोज एवं माँ का नाम साढू था, इस कारण इन्हें साढू माता का लाल भी कहा जाता हैं।
2. बचपन में देवजी का नाम उदय सिंह था, इनका विवाह राजकुमारी पीपल दे एवं दो अन्य रानियों नाग कन्या और दैत्य कन्या के साथ हुआ था. इनके एक बेटा बीला जो बाद में प्रथम पुजारी भी बने तथा बेटी का नाम बीली था।
प्र: 'जंतर' वाद्य यंत्र किसके द्वारा बजाया जाता है?
710 063875ae3c878936066d772bc
63875ae3c878936066d772bc- 1देवनारायण जी के भोपेtrue
- 2पाबू जी के भोपेfalse
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उत्तर : 1. "देवनारायण जी के भोपे "
व्याख्या :
1. यह वाद्य वीणा का प्रारम्भिक रूप कहा जा सकता है। इसकी आकृ वीणा से मिलती है तथा उसी के समान इसमें दो तुम्बे होते हैं।
2. इसकी डाँड बाँस की होती है जिस पर एक विशेष पशु की खाल के बने 22 पर्दे मोम से चिपकाये जाते हैं। कभी-कभी ये मगर की खाल के भी होते हैं।
3. परदों के ऊपर पाँच या छः तार लगे होते हैं। तारों को हाथ की अंगुली और अंगूठे के आधार से इस प्रकार अघात करके बजाया जाता है कि ताल भी उसी से ध्वनित होने लगती है।
3. मेवाड़ और बदनौर, नेगड़िया, सवाई भोज आदि क्षेत्रों के भोपे इसके वादन में कुशल है।
प्र: साम्प्रदायिक सौहार्द के प्रतीक, हमीदुद्दीन नागौरी, किस सूफी सिलसिले के थे?
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6408ba9ca9f6c7de51b48c6f- 1चिश्तीtrue
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उत्तर : 1. "चिश्ती"
व्याख्या :
हमीदुद्दीन नागौरी (1192-1274 ई.) ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के शिष्य थे। इन्होंने अपने गुरु के आदेशानुसार सूफ़ी मत का प्रचार-प्रसार किया। यद्यपि इनका जन्म दिल्ली में हुआ था, लेकिन इनका अधिकांश समय नागौर, राजस्थान में ही व्यतीत हुआ था।
प्र: शेख हमीदुद्दीन नागौरी किस सूफी सिलसिले के थे?
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6387525253e4f66177325e49- 1सुहरावर्दीfalse
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उत्तर : 3. "चिश्ती"
व्याख्या :
हमीदुद्दीन नागौरी (1192-1274 ई.) ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती के शिष्य थे। इन्होंने अपने गुरु के आदेशानुसार सूफ़ी मत का प्रचार-प्रसार किया। यद्यपि इनका जन्म दिल्ली में हुआ था, लेकिन इनका अधिकांश समय नागौर, राजस्थान में ही व्यतीत हुआ था।
प्र: ‘चिडावा का गाँधी’ किसे कहा गया है ?
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5e78667d7c405e4e893a718e- 1सरदार हरलाल सिंहfalse
- 2सेठ घनश्याम दास बिड़लाfalse
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उत्तर : 3. "मास्टर प्यारेलाल गुप्ता "
व्याख्या :
"चिड़ावा का गांधी" मास्टर प्यारेलाल गुप्ता को कहा जाता है। वे राजस्थान के झुंझुनू जिले के चिड़ावा कस्बे के रहने वाले थे। वे एक स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उन्होंने चिड़ावा में अमर सेवा समिति की स्थापना की और एक स्कूल खोला। वे गांधी जी के विचारों और आदर्शों के प्रचार-प्रसार में जुटे रहे।