Rajasthan Art History and Culture Practice Question and Answer
8 Q: राजस्थान में गोला, दरोगा, चाकर, चेला आदि सम्बोधन किसके लिए प्रयुक्त होते थे?
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62a2307794471d20736dbbdb- 1तांत्रिक के लिएfalse
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Answer : 2. "घरेलू दास के लिए "
Explanation :
राजस्थान में गोला, दरोगा, चाकर, चेला आदि सम्बोधन घरेलू दास के लिए किया जाता हैं।
Q: ‘ राजस्थान रत्न ‘ राजस्थान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।राज्य सरकार द्वारा इस पुरस्कार को शुरू किया गया था।
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Answer : 3. "2012"
Q: अंग्रेजों से सर्वप्रथम किस रियासत ने संधि की?
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5e608d57860fb849c8ed37fa- 1करौलीtrue
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Answer : 1. "करौली"
Q: "काला और बाला" और जिन्हें कृषि कार्यों का देवता माना जाता है?
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5fdc3c98d4ac5609e071fb35- 1बजरंग बलीfalse
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Answer : 4. "तेजाजी"
Q: 'खेजड़ी वृक्ष' राजस्थान के किस लोक देवता का प्रतीक है?
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61668e6a3d260361529e5f45- 1तेजाजीfalse
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Answer : 3. "गोगाजी "
Explanation :
1. राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी है। यह वृक्ष राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग दो-तिहाई हिस्से में पाया जाता है और सांस्कृतिक तथा आर्थिक रूप से बहुत महत्व रखता है।
2. खेजड़ी का वैज्ञानिक नाम प्रोसोपिस सिनेरिया है। यह एक सूखा-सहिष्णु वृक्ष है जो कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी जीवित रह सकता है। यह वृक्ष मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाया जाता है और राजस्थान के थार मरुस्थल में यह बहुतायत में पाया जाता है।
3. खेजड़ी वृक्ष को राजस्थान में गोगाजी लोक देवता का प्रतीक मानते है।
Q: कामड़ जाति का लोकनृत्य है—
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Answer : 2. "तेरहताली"
Q: शाहपुरा (भीलवाड़ा) में जिस सम्प्रदाय की पीठ स्थित है वह है—
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60af47eed752621d4fa1daf7- 1दादू सम्प्रदायfalse
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Answer : 4. "रामस्नेही सम्प्रदाय"
Q: पाबूजी के पिता का नाम क्या था?
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5fdc3d2247af917ef3d63cc6- 1सूरजमलfalse
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Answer : 2. "धांधल जी"
Explanation :
1. पाबूजी का जन्म 1239 ईस्वी को कोलू (वर्तमान बाड़मेर, राजस्थान) में हुआ था। उनके पिता का नाम धांधल जी राठौड़ था। धांधल जी राठौड़ की चार संताने थी जिनमें से उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां थी। उनके पुत्रों के नाम पाबूजी व बूरा थे तथा उनकी पुत्रियों के नाम सोना व पेमा था।
2. इतिहासकार मुहणौत नैणसी, महाकवि मोडजी आशिया व क्षेत्रीय लोगों के अनुसार, पाबूजी राठौड़ का जन्म अप्सरा के गर्भ से हुआ था। उनके अनुसार पाबूजी का जन्म स्थान वर्तमान बाड़मेर शहर से 8 कोस आगे खारी खाबड़ के जूना नामक गांव था।
3. पाबूजी का पूजा स्थल कोलू (फलोदी) में है। यहां कोलू में ही प्रतिवर्ष उनका मेला भी भरता है। क्योंकि वे अपने विवाह के बीच में उठकर गायों को बचाने गए थे जिसकी वजह से उन्हें दूल्हे के वस्त्रों में दिखाया जाता है। उनका प्रतीक चिन्ह हाथ में भाला लिए अश्वारोही के रूप में प्रचलित है।
4. पाबूजी को ग्रामीण लोग लक्ष्मण जी का अवतार मानते हैं और लोकदेवता के रूप में पूजते हैं। जनमानस पाबूजी को ऊँटो के देवता के रूप में भी पूजती है।