किस दुर्ग को अबुल फजल ने बख्तरबंद दुर्ग कहा था
1308 06163f2688c5cc30e6058abb41. रणथंभौर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला और राष्ट्रीय उद्यान है। यह किला 10वीं शताब्दी में चौहान राजपूतों द्वारा निर्मित किया गया था। यह किला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
2. रणथंभौर किला एक विशाल और मजबूत किला है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। किले की दीवारें बहुत मोटी और मजबूत हैं। किले के अंदर कई मंदिर, महल, और अन्य इमारतें हैं।
3. रणथम्भौर दुर्ग की सुदृढ़ नैसर्गिक सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर अबुल फजल ने लिखा कि “अन्य सब दुर्ग नग्न हैं, जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है"।
किस प्रसिद्ध दुर्ग की सुदृढ़ नैसर्गिक सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर अबुल फजल ने लिखा कि “अन्य सब दुर्ग नग्न हैं , जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है"?
632 062a22f82df19be4c4afd14801. रणथंभौर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला और राष्ट्रीय उद्यान है। यह किला 10वीं शताब्दी में चौहान राजपूतों द्वारा निर्मित किया गया था। यह किला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
2. रणथंभौर किला एक विशाल और मजबूत किला है। यह किला एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। किले की दीवारें बहुत मोटी और मजबूत हैं। किले के अंदर कई मंदिर, महल, और अन्य इमारतें हैं।
3. रणथम्भौर दुर्ग की सुदृढ़ नैसर्गिक सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर अबुल फजल ने लिखा कि “अन्य सब दुर्ग नग्न हैं, जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है"।
परमार राजाओं द्वारा निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध अथूणा (अर्थपूर्णा) नगर राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
570 062a22e8143a7fd0b22512a181. राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित छोटे से गाँव अरथूना में हिंदू धर्म, संस्कृति और ध्यान का महत्वपूर्ण संगम है।
2. इस स्थान पर कई सदियों से इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिकता का साथ है. इस क्षेत्र की प्राचीन धरोहर यहां की सामृद्ध विरासत के रूप में मौजूद है।
' खोयतू ' वस्त्र सम्बन्धित है
2278 062a0a637cae9f820bae5fe221. खोयतू एक प्रकार का पारंपरिक राजस्थानी वस्त्र है जो मुख्य रूप से मेवाड़ क्षेत्र में पहना जाता है। यह एक लंबा, ढीला-ढाला, बिना आस्तीन का वस्त्र होता है जो आमतौर पर सफेद रंग का होता है। खोयतू को आमतौर पर पुरुष और महिलाएं दोनों पहनते हैं, लेकिन यह पुरुषों के बीच अधिक लोकप्रिय है।
2. 'खोयतू ' वस्त्र सम्बन्धित भील जनजाति से है।मेवाड़ महाराणा के पगड़ी बाँधने वाला व्यक्तिकहलाता था
947 062a0a487df19be4c4af807e01. राजस्थान में पुरूष सिर पर साफा बांधते रहे हैं। साफा सिर्फ एक पहनावा नहीं है। राजस्थान में नौ माह लगभग गर्मी पड़ती है और तीन माह तेज गर्मी पड़ती है। ऐसे में साफे की कई परतें सिर को लू के थपेड़ों और तेज धूप से बचाती हैं। राजस्थान वीरों की भूमि भी रही है। यदा कदा यहां भूमि और आन के युद्ध से भी गुजरना पड़ता था। ऐसे में आपात प्रहार से बचने में भी साफा रक्षा का काम किया करता था।
2. मेवाड़ महाराणा की पगड़ी बांधने वाला छाबदार कहलाता था।