राजस्थान की किस सभ्यता को “ताम्रसंचयी" के नाम से भी जाना जाता है?
967 0638dedb975f808476e2d19001. गणेश्वर सभ्यता -
- स्थान - गणेश्वर (सीकर) थाना "नीम का थाना"
- नदी - काँतली नदी यह एक आन्तरिक प्रवाह वाली नदी है। कांतली इसलिये कहते हैं। क्योंकि यह अपरदन ज्यादा करती है ।
2. गणेश्वर सभ्यता उपनाम-
- ताम्रसंचयी सभ्यता भी कहते हैं।
- ताम्रकालीन सभ्यताओं में सबसे प्राचीन सभ्यता गणेश्वर सभ्यता ही है।
- भारत सभी ताम्रकालीन सभ्यताओं की जननी भी "गणेश्वर सभ्यता" ही कहते है। यहां तांबा सर्वाधिक मात्रा में मिला है।
निम्नलिखित में से कौनसा (आभूषण मानव - अंग ) सुमेलित नहीं है? -
603 063ff80d935d86258eccc5f7eसही उत्तर रामझोल - कमर है। बंगड़ी (बांगड़ी) - राजस्थानी महिलाओं द्वारा पहनी जाने वाली दो चूड़ियों का एक सेट, बंगड़ी चूड़ियों में एक मोटी लाल परत होती है और चूड़ियों को ढकने वाला एक छोटा गोल सोने का उभार होता है। तिमानिया (तिमानिया): बिना तराशे हीरों का यह चोकर सेट राजस्थान में पसंदीदा आभूषणों में से एक है।
संत मीराबाई के पति का नाम था
584 0626a6231175f3a35dcc4fb1dमीरा बाई का विवाह 1516 ई. में मेवाड़ के महाराणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र भोजराज सिंह के साथ हुआ था। भोजराज उस समय मेवाड़ के युवराज थे।
कुव्वत - उल - इस्लाम मस्जिद का निर्माण कराया था :
511 062b05281fbadac125c62448bकुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद का निर्माण गुलाम वंश के पहले शासक कुतुब-उद-दीन ऐबक ने 1206 में शुरू करवाया था। इस मस्जिद को बनने में 4 वर्ष का वक्त लगा।
स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान निम्न में से कौन सी महिला जेल नहीं गई?
534 062b05caec0fa045a61dfa130स्वतन्त्रता संग्राम के दौरान सभी महिलाये जेल गई थी।
( 1 ) अंजना देवी
( 2 ) नारायणी देवी
( 3 ) रत्ना शास्त्री
स्वामी दयानंद सरस्वती पहली बार 1865 ई. में के राजकीय अतिथि के रूप में राजस्थान आए थे-
1159 06385f7f949a42a5ac18f98e8दयानंद सरस्वती पहली बार जून 1865 में करौली के राज्य अतिथि के रूप में राजस्थान आए थे। उन्होंने किशनगढ़, जयपुर, पुष्कर, और अजमेर में व्याख्यान दिए। दयानंद सरस्वती के आने का दूसरा समय था जब वे 1881 में भरतपुर, राजस्थान आए।
स्वामी दयानंद सरस्वती ने ' सत्यार्थ प्रकाश को कहाँ लिखा था ?
815 06260f730f380c4441def7ddf1. आर्य समाज भारत में एक एकेश्वरवादी हिंदू सुधार आंदोलन है जो वेदों के अचूक अधिकार में विश्वास के आधार पर सिद्धांतों और प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
2. महर्षि दयानंद सरस्वती ने 10 अप्रैल, 1875 को समाज की स्थापना की।
3. आर्य समाज इस मान्यता का पालन करता है कि केवल एक ही ईश्वर है और उसकी मूर्ति पूजा उचित नहीं है।
4. आर्य समाज अभियोजन को बढ़ावा देने वाला पहला हिंदू संगठन था।