लप्पा, लप्पी, किरण और गोखरू क्या हैं?
1501 06385f3fd49a42a5ac18f8a08लप्पा, लप्पी, किरण, बांकली, बिजिया, मुकेश और चम्पाकली गोटे के प्रकार हैं। खण्डेला(सीकर) और भिनाय(अजमेर) गोटा निर्माण के प्रमुख केन्द्र हैं। जयपुर में हाथीदांत की कलात्मक चुड़ियां बनाई जाती है। पीतल के बर्तनों की खुदाई करके उस पर कलात्मक नक्काशी का कार्य मुरादाबादी कला कहलाती है।
जयपुर में रामप्रकाश थिएटर की स्थापना किसने की हैं?
566 06385f3521f68323fe0f633a6जयपुर का रामप्रकाश थिएटर हिंदीभाषी प्रदेश का पहला नाटक भवन था जिसे महाराजा सवाई रामसिंह द्वितीय ने 1878 में बनवाया था। रामसिंह संगीत, नृत्य और नाटक में काफी दिलचस्पी रखते थे। काेलकाता, दिल्ली और शिमला में कई नाटक देखने के बाद उन्हाने जयपुर में ये थिएटर बनवाया। अपने गुणीजन खाने की गायिकाओं , नर्तकियों और बाहर की तवायफों को अभिनय के लिए प्रशिक्षित भी किया। प्रशिक्षण के लिए उन्हानेपारसी रंगमंच के पेस्तनजी भाई बाटलीवाला और अभिनेता व निर्देशक दादा भाई रतनजी ठूंठी को नियुक्त किया था।
उस स्वतंत्रता सेनानी का नाम बताइए जिसने "पंछिड़ा" नामक लोकप्रिय गीत की रचना की -
585 06385f2cca72dd915f316ffc6'पंछीड़ा' नामक लोकप्रिय गीत स्वतंत्रता सेनानी माणिक्यलाल वर्मा ने लिखा था| इन्होनें दहेज़ प्रथा, पर्दा प्रथा आदि कुप्रथाओं का विरोध किया तथा महिला शिक्षा पर जोर दिया था।
राजस्थान में आदिवासी महिलाओं में, "कटकी" परिधान कौन पहनता है?
488 06385ec3eaec44d0c3864a0b31. कटकी ओढ़नी राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में प्रसिद्ध है।
2. यह विशेष रूप से अविवाहित महिलाओं के लिए है
3. इसे पवली भंता की ओढ़नी भी कहा जाता है।
4. राजस्थान में आदिवासी अविवाहित महिलाओं को कटकी कहा जाता है।
सुमेलित कीजिये -
(1) अजरख प्रिंट (I) कैथून
(2) पावरलूम कपड़ों पर छपाई (II) जोधपुर
(3) मोठड़ा (III) बालोतरा
(4) मसूरिया (IV) बाडमेर
सही विकल्प चुनें-
642 06411af67df653d9ac23e89c5सभी सुमेलित हैं -
(1) अजरख प्रिंट (IV) बाडमेर
(2) पावरलूम कपड़ों पर छपाई (III) बालोतरा
(3) मोठड़ा (II) जोधपुर
(4) मसूरिया (I) कैथून
राजस्थान की बहुरूपिया कला को प्रसिद्धि दिलाने का श्रेय किसे जाता है?
546 06315dbedd9ac741324cd7be91. जानकी लाल ने राजस्थान की 'बहुरूपिया कला' का प्रदर्शन किया।
2. बहुरूपिया जनजाति के लोगों ने पारंपरिक रूप से सड़क पर प्रदर्शन को अपने मुख्य व्यवसाय के रूप में किया है, प्रतिरूपण की कला का उपयोग करते हुए, अपने शरीर को अपनी पहचान बनाने के लिए चित्रित किया है।
3. हालाँकि, शहरी भारत में मनोरंजन के नए साधनों के साथ, यह कला रूप विलुप्त होने का सामना कर रहा है।