बेणेश्वर का मेला लगता है-
675 062a89799184ea83a6372d9e31. माघ मास (माह) में राजस्थान का प्रसिद्ध बेणेश्वर मेला लगता है। बेणेश्वर मेला भारत के राजस्थान राज्य के डूंगरपुर जिले में आयोजित एक लोकप्रिय जनजातीय मेला है।
2. मेला फरवरी के महीने में बेणेश्वर में आयोजित किया जाता है, जो सोमा नदी द्वारा निर्मित एक छोटा डेल्टा है और डूंगरपुर से 68.4 किलोमीटर दूर है।
3. बेणेश्वर मेला राजस्थान और पड़ोसी राज्यों में स्थित एक आदिवासी समुदाय, भीलों के लिए बहुत अधिक धार्मिक महत्व रखता है।
4. यह कबीला यहाँ बड़ी मात्रा में इकट्ठा होता है, जिससे त्योहार जनजातियों के कुंभ मेले से कम नहीं लगता है।
5. बेणेश्वर शब्द सामान्यतः भगवान शिव और महादेव मंदिर में मौजूद शिव लिंग को संबोधित किया जाता है जो सोम, माही और जाखम नदियों के संगम के पास स्थित है।
कालीबंगा एक पूर्व-ऐतिहासिक स्थल राजस्थान के किस जिले में स्थित है?
935 05fe2e66092210049c5b75a251. खेत जोतने का सबसे प्राचीन प्रमाण कालीबंगा से प्राप्त हुआ है।
2. यह उत्तरी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर (सरस्वती) नदी के तट पर स्थित है।
3. कालीबंगा की खुदाई 1960 में बी.बी. लाल और बी.के. थापर ने शुरू की थी।
4. कालीबंगा से खेती के प्रमाण मिलते हैं, जो विश्व में सबसे प्राचीन है।
5. कच्ची ईंटों से बने उठे हुए चबूतरे से एक पंक्ति में अग्नि वेदी के साक्ष्य मिलते हैं।
6. सर्वप्रथम 1952 ई में अमलानन्द घोष ने इसकी खोज की। बी. के थापर व बी. बी लाल ने 1961-69 में यहाँ उत्खनन का कार्य किया।
राजस्थान में जुते हुए खेत के प्राचीनतम साक्ष्य निम्नांकित में किस स्थल पर प्राप्त हुए हैं?
603 062a895b2065e977f58fdbff71. खेत जोतने का सबसे प्राचीन प्रमाण कालीबंगा से प्राप्त हुआ है।
2. यह उत्तरी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में घग्गर (सरस्वती) नदी के तट पर स्थित है।
3. कालीबंगा की खुदाई 1960 में बी.बी. लाल और बी.के. थापर ने शुरू की थी।
4. कालीबंगा से खेती के प्रमाण मिलते हैं, जो विश्व में सबसे प्राचीन है।
5. कच्ची ईंटों से बने उठे हुए चबूतरे से एक पंक्ति में अग्नि वेदी के साक्ष्य मिलते हैं।
निम्न में से कौन सा नृत्य कालबेलिया जाति सेसम्बन्धित है?
606 062a894ba4dee44100be280d91. इण्डोणी नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य विशेष रूप से कालबेलिया जाति के लोगों द्वारा किया जाता है।
2. इंडोणी, शंकरिया, पणिहारी, बागडिया कालबेलिया जाति के नृत्य है| कालबेलिया जनजाति प्रमुख रूप से कालबेलिया नृत्य के लिए जानी जाती है।
3. यह इनकी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है|आनंद और उत्सव के सभी अवसरों पर इस जनजाति के सभी स्त्री और पुरुष इसे प्रस्तुत करते है।
प्रागैतिहासिक काल में प्रचुर ताम्र भण्डार कहाँ पायागया?
584 062a891f7184ea83a6372a374गणेश्वर सभ्यता- नीम का थाना (सीकर) कांटली नदी के किनारे उत्खनन RC अग्रवाल 1977 विजयकुमार 1978-79 ताम्रयुगीन सभ्यता की जननी प्रचुर ताम्र सामग्री, मछली के कांटे (हार्पून), ताम्रपीन, पत्थर के मगन/बांध के प्रमाण ।