Rajasthan GK Practice Question and Answer
8 Q: 'नाथरा की पाल' और 'थूर हुण्डेर' स्थान किस खनिज से संबंधित हैं?
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Answer : 4. "लौह अयस्क"
Explanation :
. यद्यपि राजस्थान इस खनिज से समृद्ध नहीं है, फिर भी उपलब्ध निक्षेप उच्च गुणवत्ता (हेमेटाइट और मैग्नेटाइट) का है।
2. अधिकांश हेमेटाइट के रूप में पाया जाने वाला अयस्क छोटे से निक्षेप में पाया जाता है जिनका गैर-आर्थिक रूप से खनन किया जाता था।
3. कुछ मैग्नेटाइट विभिन्न स्थानों पर भी पाए जाते हैं।
4. राज्य में लौह-अयस्क राज्य के उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भाग में पाया जाता है।
Q: नाथरा की पाल किस खनिज के लिए प्रसिद्ध है?
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Answer : 4. "लौह-अयस्क"
Explanation :
1. यद्यपि राजस्थान इस खनिज से समृद्ध नहीं है, फिर भी उपलब्ध निक्षेप उच्च गुणवत्ता (हेमेटाइट और मैग्नेटाइट) का है।
2. अधिकांश हेमेटाइट के रूप में पाया जाने वाला अयस्क छोटे से निक्षेप में पाया जाता है जिनका गैर-आर्थिक रूप से खनन किया जाता था।
3. कुछ मैग्नेटाइट विभिन्न स्थानों पर भी पाए जाते हैं।
4. राज्य में लौह-अयस्क राज्य के उत्तर-पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भाग में पाया जाता है।
Q: राजस्थान में संभागीय आयुक्त व्यवस्था को कब पुनर्जीवित किया गया?
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Answer : 3. "1987 "
Explanation :
1. 1962 में राजस्थान संभागीय आयुक्त के कार्यालय का उन्मूलन किया गया और 1987 में पुनर्जीवित किया गया।
2. आयुक्तों की भूमिकाएँ और शक्तियाँ एक राज्य से दूसरे राज्य में भिन्न होती हैं लेकिन एक सामान्य पहल है।
Q: राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायधीश के कितने पद स्वीकृत हैं?
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Answer : 2. "50"
Explanation :
1. राजस्थान राज्य का उद्घाटन 30 मार्च, 1949 को हुआ और तत्समय जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर और अलवर में कार्यरत पाँच रियासतकालीन उच्च न्यायालयों को राजस्थान उच्च न्यायालय अध्यादेश, 1949 द्वारा समाप्त कर दिया गया और राजस्थान में उच्च न्यायालय, जोधपुर का उद्घाटन किया गया।
2. राजस्थान उच्च न्यायालय में 50 माननीय न्यायाधीशों की पद-संख्या अनुमोदित है।
Q: राजस्थान में राजस्व मण्डल की स्थापना कब हुई?
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Answer : 1. "1949"
Explanation :
1. संयुक्त राजस्थान राज्य के निर्माण के पश्चात महामहिम राजप्रमुख ने 7 अप्रैल 1949 को अध्यादेश की उद्घोषणा द्वारा राजस्थान के राजस्व मंडल (Board of Revenue for Rajasthan) की स्थापना की थी।
2. यह अध्यादेश 1 नवम्बर 1949 को प्रवर्तित हुआ था उसने बीकानेर, जयपुर, जोधपुर, मत्स्य तथा पूर्व राजस्थान के राजस्व मंडलों का स्थान ले लिया हैं।
3. ये राजस्व मंडल विविध विधियों के अधीन रियासतों में कार्य कर रहे थे।
Q: प्रसिद्ध लोक देवता पाबूजी का जन्म कब हुआ था?
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Answer : 4. "1239"
Explanation :
1. पाबूजी का जन्म 1239 ईस्वी को कोलू (वर्तमान बाड़मेर, राजस्थान) में हुआ था। उनके पिता का नाम धांधल जी राठौड़ था। धांधल जी राठौड़ की चार संताने थी जिनमें से उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां थी। उनके पुत्रों के नाम पाबूजी व बूरा थे तथा उनकी पुत्रियों के नाम सोना व पेमा था।
2. इतिहासकार मुहणौत नैणसी, महाकवि मोडजी आशिया व क्षेत्रीय लोगों के अनुसार, पाबूजी राठौड़ का जन्म अप्सरा के गर्भ से हुआ था। उनके अनुसार पाबूजी का जन्म स्थान वर्तमान बाड़मेर शहर से 8 कोस आगे खारी खाबड़ के जूना नामक गांव था।
3. पाबूजी का पूजा स्थल कोलू (फलोदी) में है। यहां कोलू में ही प्रतिवर्ष उनका मेला भी भरता है। क्योंकि वे अपने विवाह के बीच में उठकर गायों को बचाने गए थे जिसकी वजह से उन्हें दूल्हे के वस्त्रों में दिखाया जाता है। उनका प्रतीक चिन्ह हाथ में भाला लिए अश्वारोही के रूप में प्रचलित है।
4. पाबूजी को ग्रामीण लोग लक्ष्मण जी का अवतार मानते हैं और लोकदेवता के रूप में पूजते हैं। जनमानस पाबूजी को ऊँटो के देवता के रूप में भी पूजती है।
5. पाबूजी की घोड़ी का नाम केसर कालमी था।
Q: पाबूजी की घोड़ी का नाम क्या था?
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Answer : 3. "केसर कलमी"
Explanation :
1. पाबूजी का जन्म 1239 ईस्वी को कोलू (वर्तमान बाड़मेर, राजस्थान) में हुआ था। उनके पिता का नाम धांधल जी राठौड़ था। धांधल जी राठौड़ की चार संताने थी जिनमें से उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां थी। उनके पुत्रों के नाम पाबूजी व बूरा थे तथा उनकी पुत्रियों के नाम सोना व पेमा था।
2. इतिहासकार मुहणौत नैणसी, महाकवि मोडजी आशिया व क्षेत्रीय लोगों के अनुसार, पाबूजी राठौड़ का जन्म अप्सरा के गर्भ से हुआ था। उनके अनुसार पाबूजी का जन्म स्थान वर्तमान बाड़मेर शहर से 8 कोस आगे खारी खाबड़ के जूना नामक गांव था।
3. पाबूजी का पूजा स्थल कोलू (फलोदी) में है। यहां कोलू में ही प्रतिवर्ष उनका मेला भी भरता है। क्योंकि वे अपने विवाह के बीच में उठकर गायों को बचाने गए थे जिसकी वजह से उन्हें दूल्हे के वस्त्रों में दिखाया जाता है। उनका प्रतीक चिन्ह हाथ में भाला लिए अश्वारोही के रूप में प्रचलित है।
4. पाबूजी को ग्रामीण लोग लक्ष्मण जी का अवतार मानते हैं और लोकदेवता के रूप में पूजते हैं। जनमानस पाबूजी को ऊँटो के देवता के रूप में भी पूजती है।
5. पाबूजी की घोड़ी का नाम केसर कालमी था।
Q: पाबूजी के पिता का नाम क्या था?
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Answer : 2. "धांधल जी"
Explanation :
1. पाबूजी का जन्म 1239 ईस्वी को कोलू (वर्तमान बाड़मेर, राजस्थान) में हुआ था। उनके पिता का नाम धांधल जी राठौड़ था। धांधल जी राठौड़ की चार संताने थी जिनमें से उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां थी। उनके पुत्रों के नाम पाबूजी व बूरा थे तथा उनकी पुत्रियों के नाम सोना व पेमा था।
2. इतिहासकार मुहणौत नैणसी, महाकवि मोडजी आशिया व क्षेत्रीय लोगों के अनुसार, पाबूजी राठौड़ का जन्म अप्सरा के गर्भ से हुआ था। उनके अनुसार पाबूजी का जन्म स्थान वर्तमान बाड़मेर शहर से 8 कोस आगे खारी खाबड़ के जूना नामक गांव था।
3. पाबूजी का पूजा स्थल कोलू (फलोदी) में है। यहां कोलू में ही प्रतिवर्ष उनका मेला भी भरता है। क्योंकि वे अपने विवाह के बीच में उठकर गायों को बचाने गए थे जिसकी वजह से उन्हें दूल्हे के वस्त्रों में दिखाया जाता है। उनका प्रतीक चिन्ह हाथ में भाला लिए अश्वारोही के रूप में प्रचलित है।
4. पाबूजी को ग्रामीण लोग लक्ष्मण जी का अवतार मानते हैं और लोकदेवता के रूप में पूजते हैं। जनमानस पाबूजी को ऊँटो के देवता के रूप में भी पूजती है।