'जंतर' वाद्य यंत्र किसके द्वारा बजाया जाता है?
601 063875ae3c878936066d772bc1. यह वाद्य वीणा का प्रारम्भिक रूप कहा जा सकता है। इसकी आकृ वीणा से मिलती है तथा उसी के समान इसमें दो तुम्बे होते हैं।
2. इसकी डाँड बाँस की होती है जिस पर एक विशेष पशु की खाल के बने 22 पर्दे मोम से चिपकाये जाते हैं। कभी-कभी ये मगर की खाल के भी होते हैं।
3. परदों के ऊपर पाँच या छः तार लगे होते हैं। तारों को हाथ की अंगुली और अंगूठे के आधार से इस प्रकार अघात करके बजाया जाता है कि ताल भी उसी से ध्वनित होने लगती है।
3. मेवाड़ और बदनौर, नेगड़िया, सवाई भोज आदि क्षेत्रों के भोपे इसके वादन में कुशल है।
निम्नलिखित में से कौनसा (बाँध - अवस्थिति) सुमेलित नहीं है?
424 06387595c9ebad6607b6f651dनिम्नलिखित में से सभी (बाँध - अवस्थिति) सुमेलित है।
(A) हेमावास - पाली
(B) बांकली- जालोर
(C) पिचियाक - जोधपुर
(D) मेजा - भीलवाड़ा
स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 के अनुसार, राजस्थान में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले तीन जिले हैं
608 0638758eed766b160a2ebafdaस्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 के अनुसार, राजस्थान में सर्वाधिक वन क्षेत्रफल वाले उदयपुर, अलवर तथा प्रतापगढ़ तीन जिले हैं।
भीमलत जलप्रपात अवस्थित है-
617 06387587b9ebad6607b6f609e1. भीमलत जलप्रपात राजस्थान के बूंदी और चित्तौड़गढ़ शहरों के बीच स्थित है।
2. मांगली नदी राजस्थान में मेज नदी की सहायक नदी है।
3. लूनी और बेराच नदियाँ राजस्थान में हैं।
'राजस्थान के जतिन दास' कहलाते हैं-
2167 06387581253e4f66177329d35बाल मुकुंद बिस्सा को 'राजस्थान के जतिन दास' कहा जाता है। वे एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था। वे 34 वर्ष की आयु में 63 दिनों की भूख हड़ताल पर बैठे थे, जिससे उनकी मृत्यु हो गई थी।
कौनसा पुरातात्विक स्थल 'ताम्रवती' नाम से जाना जाता था?
627 0638757af53e4f66177329ca4आहड़ पुरातात्विक स्थल को प्राचीनकाल में 'ताम्रवती' नाम से जाना जाता था। यह पुरातात्विक स्थल राजस्थान के उदयपुर जिले में स्थित है। यह स्थल आहड़ नदी के तट पर स्थित है। आहड़ संस्कृति एक ताम्रपाषाणकालीन संस्कृति है, जो ईसा पूर्व 3000 से ईसा पूर्व 1500 तक फली-फूली। यह सिंधु घाटी सभ्यता के समीपवर्ती और समकालीन है। इसे बनास संस्कृति भी कहते हैं।
राजस्थान में पलाश के वन कौन से जिलों में पाये जाते हैं?
576 06387574953e4f66177329a5b1. पलाश (Butea monosperma) राजस्थान की बहुत महत्वपूर्ण प्रजातियों में से एक है जो मुख्यतः दक्षिणी अरावली एवं दक्षिणी-पूर्वी अरावली के आसपास दिखाई देती है। यह प्रजाति 5 उष्ण कटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वनों का महत्वपूर्ण अंश है तथा भारत में E5 – पलाश वन बनाती है।
2. राजस्थान में पलाश के वन अलवर, अजमेर, उदयपुर, राजसमंद जिलों में पाये जाते हैं।