राजस्थान सामान्य जीके प्रश्नोत्तरी और उत्तर ब्लॉग में आपका स्वागत है! यह मंच राजस्थान के सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य के बारे में आपके ज्ञान को बढ़ाने का प्रवेश द्वार है। राजस्थान के इतिहास, भूगोल, संस्कृति, परंपराओं, प्रसिद्ध हस्तियों और बहुत कुछ के बारे में आपकी समझ का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन की गई विभिन्न क्विज़ का अन्वेषण करें। हमारे इंटरैक्टिव क्विज़ के साथ खुद को चुनौती दें और इस जीवंत राज्य के बारे में आकर्षक तथ्य जानें। चाहे आप निवासी हों या उत्साही, आकर्षक प्रश्नोत्तरी और विस्तृत उत्तरों के माध्यम से राजस्थान के आश्चर्यों को उजागर करने की इस रोमांचक यात्रा में हमारे साथ शामिल हों।
इस लेख राजस्थान सामान्य जीके प्रश्नोत्तरी और उत्तर में, हम राजस्थान सामान्य ज्ञान अनुभाग के तहत राजस्थान के इतिहास, भूगोल, अर्थव्यवस्था, राजनीति और राजस्थान बेसिक जीके से संबंधित नवीनतम महत्वपूर्ण प्रश्न और उत्तर साझा कर रहे हैं।
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Q : किसान आन्दोलन किस राज्य से सम्बन्धित दूधवाखारा था?
(A) जैसलमेर
(B) जोधपुर
(C) बीकानेर
(D) जयपुर
जयपुर राज्य ने कन्यावध " को किस वर्ष गैर कानूनी घोषित कर दिया?
(A) 1840
(B) 1842
(C) 1844
(D) 1846
1. कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करने वाली राजस्थान की पहली रियासत थी कोटा। 1834 ई. में कोटा के महाराजा भीम सिंह ने कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करते हुए इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया। इस कदम से राजस्थान में कन्या वध की प्रथा में काफी कमी आई।
2. कोटा के बाद उदयपुर, जयपुर, जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर और अन्य राज्यों ने भी कन्या वध को गैर कानूनी घोषित किया। 1853 ई. में ब्रिटिश सरकार ने भी कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करने वाला कानून बनाया।
कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करने वाली राजस्थान की पहली रियासत थी-
(A) झालावाड़
(B) जयपुर
(C) शाहपुरा
(D) कोटा
1. कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करने वाली राजस्थान की पहली रियासत थी कोटा। 1834 ई. में कोटा के महाराजा भीम सिंह ने कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करते हुए इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया। इस कदम से राजस्थान में कन्या वध की प्रथा में काफी कमी आई।
2. कोटा के बाद उदयपुर, जयपुर, जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर और अन्य राज्यों ने भी कन्या वध को गैर कानूनी घोषित किया। 1853 ई. में ब्रिटिश सरकार ने भी कन्या वध को गैर कानूनी घोषित करने वाला कानून बनाया।
मौखरी यूप अभिलेख (238 ई.) निम्न में से कहाँ से प्राप्त हुए हैं?
(A) बरनाला
(B) बैराठ
(C) बड़वा
(D) बड़ली
धुलेव में स्थित प्रसिद्ध मन्दिर, जैन धर्म के किस तीर्थंकर को समर्पित है?
(A) महावीर
(B) पार्श्वनाथ
(C) शांतिनाथ
(D) ऋषभदेव
1. धुलेव में स्थित प्रसिद्ध मन्दिर, जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को समर्पित है। इस मंदिर को "केसरियाजी" या "केसरियानाथ" के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर अरावली पर्वतमाला की कंदराओं के मध्य कोयल नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर जैन धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
2. इस मंदिर में भगवान ऋषभदेव की काले पत्थर की बनी प्रतिमा स्थापित है। भगवान ऋषभदेव को हिंदू विष्णु का आठवां अवतार भी माना जाता है। इस मंदिर को मेवाड़ के चार मुख्य धार्मिक संस्थाओं में से एक माना जाता है।
गुलाल बाई और कृष्णा कुमारी किसके लिए प्रसिद्ध हैं?
(A) स्वांग लोकनाट्य
(B) नौटंकी लोकनाट्य
(C) गवरी लोकनाट्य
(D) ख्याल लोकनाट्य
राजस्थान में "झोरवा" गीत है -
(A) एक विरह गीत
(B) परिवार में गाया जाने वाला एक जन्मोत्सव
(C) वधू विदाई गीत
(D) फसल रोपने के समय गाया जाने वाला गीत
निम्नलिखित में से कौन सा मिलान सही नहीं है?
(A) रजब अली खान - वीणा वादक
(B) आमिर खान - सितार वादक
(C) अल्लाह जिलाई बाई - मांड गायक
(D) रवि शंकर - नड़ वादक
निम्नलिखित में से सभी मिलान सही है।
(A) रजब अली खान - वीणा वादक
(B) आमिर खान - सितार वादक
(C) अल्लाह जिलाई बाई - मांड गायक
(D) रवि शंकर - सितार वादक
मालदेव की किस रानी ने मण्डोर के निकट 'बहुजी - रो - तालाब' का निर्माण करवाया था?
(A) हीरा दे झाली
(B) स्वरूप दे झाली
(C) उमा दे भटियानी
(D) पारबती सिसोदेनी
1. मालदेव मारवाड़ का एक भारतीय शासक था, जिसे बाद में जोधपुर के नाम से जाना गया।
2. मालदेव ने जोधपुर के किले का विस्तार किया और रानीसर के आसपास की संरचना को मजबूत किया।
3. किले के इलाके में अतिक्रमण से चिडियानाथ की पराजय हुई।
4. उनकी रानी स्वरूप डी झाली, जिन्होंने 'मंडोर के पास 'बहूजी रो तालाब' का निर्माण किया।
बिजौलिया शिलालेख में किस वंश के शासकों की उपलब्धियों का उल्लेख है?
(A) सिसोदिया
(B) चौहान
(C) राठौड़
(D) परमार
1. बिजोलिया के चौहान शिलालेख को बिजोलिया शिलालेख (1170 ई.) के नाम से भी जाना जाता है।
2. इस शिलालेख का पाठ संस्कृत भाषा में है।
3. बिजोलिया शिलालेख बिजोलिया मंदिर परिसर में पार्श्वनाथ मंदिर से जुड़े एक जलाशय के उत्तर में एक बड़ी चट्टान पर उकेरा गया है।
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