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 कम्पनी बाग़ के मुहाने पर 

धार रखी गई हैं यह 1857 की तोप 

कंपनी बाग़ की तरह 

साल में चमकाई जाती हैं दो बार | 

सुबह शाम कंपनी बाग़ में आते हैं बहुत से सैलानी 

उन्हें बताती हैं यह तोप 

की में बड़ी जबर 

उड़ा दिए थे मैंने 

अच्छे अच्छे सूरमाओं के धज्जे 

अपने जमाने में 

अब तो बहरहाल 

छोटे लड़कों की घुड़सवारी से अगर यह फायरिंग 

हो तो उसके ऊपर बैठकर 

चिड़ियाँ ही अक्सर करते हैं गपशप 

कभी कभी शैतानी ,एम् वे इसके भीतर भी घुस जाती हैं 

खास कर गौरैये 

वे बताती हैं की दरअसल कितनी भी बड़ी हो तोप 

एक दिन तो होना ही हैं उसका मुंह बंद !

Q:
तोप कविता के कवि कौन हैं ?

  • 1
    वीरेन
  • 2
    वीरेन डंगवाल
  • 3
    महादेवी वर्मा
  • 4
    कोई नही
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Answer : 2. "वीरेन डंगवाल "

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